इन्वर्टर क्या काम करता है

इन्वर्टर के बिना बैटरी को अक्सर उपयोग में नहीं लिया जाता क्योंकि इन्वर्टर बैटरी का दिमाग कहलाता है । बिना इन्वर्टर के बैटरी उपयोग में लाना सही नहीं क्योंकि बैटरी लम्बे समय तक चलती ही नहीं है । बैटरी के साथ इन्वर्टर हर वक्त लगाना ही होता है और यही बात सोचने के बाद सवाल पैदा होता है कि इन्वर्टर क्या काम करता है या उसका काम होता क्या है जिसकी वजह से बैटरी सही ढंग से काम कर पाती है, चलिए जानते हैं ।

इन्वर्टर क्या काम करता है
इन्वर्टर क्या काम करता है

Inverter kya kaam karta hai

इन्वर्टर का काम होता है बैटरी को सीमित मात्रा में चार्ज कर देना, कांस्टेंट (स्थिर) बिजली देना, बैटरी सड़ने से बचाना, शोर्ट सर्किट से बचाना, घर में बिजली होने या नहीं होने पर अपन आप ही घर को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने में मदद करना आदि । इतने काम इन्वर्टर मुख्य रूप से करता ही है, जिसको बारीकी से समझने की जरूरत है जिसकी जानकारी नीचे दी अनुसार है :

ओवरचार्जिंग से बचाव (Overcharging Protection)

इन्वर्टर के साथ आने वाली बैटरी जैसे-जैसे चार्ज होती रहती है वैसे-वैसे उसका वोल्टेज लेवल भी बढ़ता जाता है । वोल्टेज लेवल 16 पहुँच जाए तो यह माना जाता है कि बैटरी सीमित मात्रा में चार्ज हो चुकी है । बैटरी के साथ इन्वर्टर के साथ लगा होने की वजह से जैसे ही बैटरी का वोल्टेज लेवल 16 तक पहुंच जाता है तो उसकी वक्त इन्वर्टर बैटरी को चार्ज होने से रोक देता है ।

अगर इन्वर्टर बैटरी से हटा दिया तो उसके बाद बैटरी लगातार चार्ज होती रहेगी । लगातार बैटरी चार्ज होने की वजह से बैटरी धीरे-धीरे फूलना शुरू हो जाती है जिसे ओवरचार्जिंग कहते हैं क्योंकि बैटरी जरूरत से ज्यादा ही चार्ज हो रही है । इन्वर्टर का बैटरी के साथ लगने की वजह से बैटरी ओवरचार्जिंग नहीं होगी, वह फूलेगी नहीं और उससे बैटरी सुरक्षित भी रहेगी । यह बात जरुर ध्यान रखनी है कि बैटरी को सीधा ही करंट दोगे तो वह बैटरी चार्ज होना बंद नहीं करेगी और धीरे-धीरे फूल जाती है ।

पूरी तरीके से खाली होने से बचाना

बैटरी पूरी तरीके से खाली हो जाए तो वह बैटरी हमेशा-हमेशा के लिए खराब हो जाती है । अगर आपने बिना इन्वर्टर के बैटरी का उपयोग करना चाहा और वह बैटरी गलती से सारी की सारी खली हो गई तो ऐसे में वह बैटरी खराब हो जाती है । इन्वर्टर का बैटरी के साथ लगा होने की वजह से जब बैटरी पूरी तरीके से खाली होने की बारी आती है तो उसी वक्त इन्वर्टर करंट देना बंद कर देता है, जिसकी वजह से बैटरी खराब होने से बच जाती है । कंपनी वाले इन्वर्टर को इस हिसाब से तैयार करते हैं कि वह इन्वर्टर बैटरी को पूरी तरीके से खाली ना होने दे ।

बिजली के प्रकार को बदलना

घर के सभी उपकरण AC करंट पर चलते हैं लेकिन बैटरी DC करंट पर ही होती है चार्ज । बैटरी कभी भी घर में आने वाली बिजली से सीधा चार्ज नहीं कर सकती वह सड़ जाएगी । इन्वर्टर सबसे पहले बाहर से आने वाले ac करंट को dc करंट में बदलता है ताकि बैटरी चार्ज हो सके । अगर बैटरी का करंट घर में लगे उपकरणों को देना हो तो ऐसे में इन्वर्टर बैटरी में जमा dc करंट को फिर से ac करंट में बदलकर घर को बिजली सप्लाई करता है । कुल मिलाकर बात ये है कि बिना इन्वर्टर के बैटरी कभी चार्ज नहीं हो सकती है ।

शोर्ट सर्किट होने से बचाना

घर में लगी तारें आपस में अगर किसी कारण से जुड़ गई तो ऐसे में शोर्ट सर्किट लगातार होने के कारण आग लग जाती है । लेकिन बैटरी के साथ इन्वर्टर लगा होने की वजह से जैसे ही घर में कोई भी तार अगर आपस में जुड़ जाती है तो ऐसे में इन्वर्टर पुरे घर की बिजली सप्लाई को रोक देता है क्योंकि इसके अंदर mcb लगा होता है । इसी के साथ अन्य शोर्ट सर्किट से बचाव के लिए भी इन्वर्टर पुरे घर में आने-जाने वाली बिजली सप्लाई बंद कर देता है ।

वोल्टेज कम और ज्यादा करना

घर में लगे उपकरण ac करंट 220 से 240 वोल्ट तक चलते हैं । लेकिन घर में हम जो बड़ी सी बैटरी लेकर आते हैं वह मात्र 12 वोल्टेज की होती है । इन्वर्टर बैटरी के 12 वोल्टेज करंट को 240 वोल्टेज तक बढ़ाकर और बैटरी में जमा dc करंट को ac करंट में बदलने के बाद ही वह इन्वर्टर पुरे घर को बिजली सप्लाई करता है ।

जब बैटरी को चार्ज करना होता है तब बाहर से आने वाला ac करंट जो 220 से 240 वोल्ट तक के बीच में होता है, उससे बैटरी चार्ज नहीं हो सकती है क्योंकि 12 वोल्ट की बैटरी को चार्ज करने के लिए 16 वोल्टेज का करंट चाहिए होता है । इन्वर्टर बाहर से आने वाले हाई वोल्टेज करंट को कम करके 16 वोल्ट तक पहुँचाने के बाद और उस ac करंट को dc करंट में बदलने के बाद ही बैटरी को देता है क्योंकि बैटरी में केवल dc करंट ही जमा होता है जबकि बाहर से आने वाला करंट ac करंट कहलाता है ।

आटोमेटिक काम करने में सक्षम

बिजली के आने और चले जाने के लिए ईंधन वाले जनरेटर को खुद से स्टार्ट और बंद करना पड़ता है । लेकिन इन मामलों में इन्वर्टर इतना एडवांस्ड है कि घर में बिजली नहीं होने के चलते बैटरी के जमा बिजली पुरे घर को सप्लाई करना शुरू कर देता है और बिजली के आ जाने के बाद बैटरी का करंट रोककर बाहर से आ रही बिजली को ही आने देता है घर में । साथ-ही साथ इन्वर्टर यह भी देख लेता है कि बैटरी अब और कितनी चार्ज होना बाकी है, जिससे कि बैटरी जरूरत से ज्यादा चार्ज ना हो पाए ।

अन्य सुविधाएँ देना

अब के समय में बनने कंपनियां लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इन्वर्टर बना रही हैं जो मोबाइल के साथ कनेक्ट हो जाते हैं । इससे इन्वर्टर बैटरी से जुड़ी हर डिटेल्स मोबाइल में देखने को मिल जाती है जैसे कि बैटरी का बैकअप, उसमें कितना लोड पड़ रहा है, परफॉरमेंस कितनी है,चार्जिंग होने में कितना समय लगेगा और भी बहुत कुछ । इसके अलावा डिजिटल डिस्प्ले वाले इन्वर्टर में लगी छोटी सी स्क्रीन में बैटरी का बैकअप, एरर और चार्जिंग समय देखने को मिल जाता है ।

क्या है इसकी कमियां

बैटरी की उम्र काफी हो जाने के बाद उसका वोल्टेज लेवल कम होने की वजह से इन्वर्टर लगातार बैटरी को चार्ज करता रहता है क्योंकि बैटरी का वोल्टेज बढ़ता ही नहीं उसका डेड होने के कारण । इसके लिए इन्वर्टर के पीछे लगे बटन के माध्यम से इन्वर्टर की सेटिंग्स चेंज करके यह समस्या ठीक हो जाती है । क्योंकि उसकी वजह से इन्वर्टर बैटरी को पूरी चार्ज नहीं बल्कि तकरीबन आधा चार्ज करता है ताकि बैटरी कुछ समय और साथ दे सके ।

लेटेस्ट इन्वर्टर ज्यादा गर्म होने के चलते उसके अंदर लगा पंखा बार-बार चलता है जिसकी वजह से सारा दिन इन्वर्टर 30 से 40 वाट या इसके आसपास बिजली खपत कर देता है । कुछ साल पहले बनने वाले इन्वर्टर सारा दिन तकरीबन 20 वाट बिजली की खपत करते थे और यह हमारा खुद का एक्सपीरियंस है । इन्वर्टर सारा दिन इतनी बिजली खाता ही है क्योंकि वह आटोमेटिक तरीके से काम करता है और अन्य सुरक्षा प्रदान करता है इसीलिए ।

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